Rakesh rakesh

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -27-Apr-2023 सफेद रंग

मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने मोहल्ले में ही 15 अगस्त पर तिरंगा फहराने के बाद बच्चों का नाच गाने का प्रोग्राम रखा था। और लड्डू चाय समोसे का इंतजाम कर रखा था।


मेरी उस समय 18 वर्ष आयु थी। और मेरी बहन की 15 वर्ष की। मैं और मेरी बहन निशा मां से ज्यादा पापा के दुलारे थे।

 मैं जब अपने दोस्तों के साथ 15 अगस्त पर तिरंगा फहराने की तैयारी में जुटा हुआ था, तो उसी समय मेरी बहन घर से रोते चिल्लाते हुए मेरे पास आई और तेज तेज रो-रो कर कहने लगी कि "मिलन भैया पापा को दूसरा अटैक पड़ा है।"

मैं और मेरे दोस्त जब बहन के साथ भाग कर घर पहुंचे तो घर पर पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई थी। और मां तेज तेज रो रही थी।

पिताजी को मैं पड़ोसियों और दोस्तों के साथ मिलकर अस्पताल लेकर गया तो जब अस्पताल में डॉक्टरों ने पिताजी को मृत घोषित कर दिया, तो उस समय मुझे दुनिया की हर खुशी नकली लगने लगी थी।

मेरे पिताजी सरकारी बस ड्राइवर थे और शराब पीने के शौकीन थे। इसी वजह से उनको हार्ट प्रॉब्लम हुई थी। और मां पब्लिक स्कूल में ड्राइंग की टीचर थी।

मां को रंगों से बहुत प्रेम था क्योंकि वह एक अच्छी पेंटर थी। लेकिन विधवा होने के बाद उन्होंने सारे रंगों से नाता तोड़ लिया था।

 पिताजी के निधन के तीन बरस बाद बुआ जी और फूफा जी ने मेरी शादी वृंदावन मे करवा दी थी, क्योंकि बुआ जी की ससुराल में मथुरा में थी ।


जिस दिन मेरी पत्नी का पहला करवा चौथ था, तो बुआ जी और फूफा जी भी हमारे घर आए हुए थे। क्योंकि मेरी पत्नी बुआ जी की पक्की सहेली की बेटी थी और उसका पहला करवा चौथ था।

 करवा चौथ के दिन सुहागिनों को देखकर सुबह से ही मेरी विधवा मां उदास थी। ऊपर से मेरी बुआ जी ने मेरी पत्नी की पूजा की थाली सजाने मैं मदद करने पर मेरी मां का बहुत अपमान किया, तो मुझे उस दिन सारी विधवाओं की दशा पर बहुत दुख हुआ की रंगीन दुनिया में रंगों से दूर ऊपर से सुहागिनों से हर जगह छोटा दर्जा।

पत्नी की ज़िद की वजह से मथुरा की होली देखने के लिए मैं और मेरी मां छोटी बहन पत्नी के मायके गए। और सबसे पहले हम सब वृंदावन पूजा अर्चना करने और घूमने वृंदावन गए।

तो वृंदावन मे मुझे यह देख कर बहुत अच्छा लगा कि वृंदावन में निवास करने वाली विभिन्न प्रदेशों की विधवा महिलाएं सदियों से चली आ रही, कुरीतियों को छोड़कर पहली बार अबीर गुलाल से रंग भरी होली खेल रही है। मैंने भी आव देखा ना ताव अपनी विधवा मां का हाथ पकड़कर उन विधवा महिलाओं के बीच में होली खेलने के लिए धकेल दिया।

उस दिन के बाद मां के सफेद कपड़ों में तो परिवर्तन नहीं आया लेकिन उस दिन के बाद से मां ने रंगो से अपना संबंध जोड़ लिया था।

अब वह पहले जैसे ही रंग बिरंगी पेंटिंग करने लगी थी। और धीरे-धीरे मां की पेंटिंग देश-विदेश में मशहूर होने लगी थी। क्योंकि मेरी विधवा मां शादी से पहले बहुत अच्छी पेंटिंग करती थी लेकिन शादी के बाद मां ने अपना यह शौक दबा दिया था।

और एक दिन मां मशहूर पेंटर बन गई। अब विधवा होने के बावजूद मां का जीवन खुशियों के रंगों से भर गया था। अब मां के जीवन में चारों तरफ रंग ही रंग थे।

 कृष्ण भगवान की कृपा से मेरी विधवा मां के जीवन में दोबारा खुशियां आ गई। "राधे राधे"

   17
14 Comments

madhura

28-Apr-2023 08:25 PM

nice

Reply

Abhinav ji

28-Apr-2023 09:15 AM

Very nice 👍

Reply

Gunjan Kamal

27-Apr-2023 10:05 PM

बेटे ने विधवा मां के जीवन में रंग भर दिया। बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply

Rakesh rakesh

28-Apr-2023 01:50 AM

Thank you very much

Reply